बेमौसम बारिश से गेहूं फसल को 20 लाख टन तक नुकसान संभव, अब तक 7 लाख तक खरीद चुकी है सरकार
बेमौसम बारिश के कारण गेहूं उत्पादन को 20 लाख टन तक का नुकसान पहुंच सकता है. हालांकि, रकबा ज्यादा होने के कारण उत्पादन पर किसी तरह के असर का अनुमान नहीं है.
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि हाल में खराब मौसम के कारण गेहूं के उत्पादन में 10 से 20 लाख टन तक की कमी आने की आशंका है लेकिन रकबा अधिक होने और ज्यादा उपज के कारण कुल उत्पादन चालू वर्ष में रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार की गेहूं खरीद चल रही है और अब तक लगभग सात लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है. यह एक साल पहले की समान अवधि में दो लाख टन की हुई खरीद से कहीं अधिक है.
किसानों से सीधा खरीद करें आटा चक्की संचालक
केंद्र ने आटा चक्कियों से कहा है कि वे खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत सरकारी स्वामित्व वाले भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से स्टॉक मांगने के बजाय अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीधे किसानों से खरीद करें. सरकार ने बंपर उत्पादन को देखते हुए गेहूं उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की उद्योग की मांग को भी खारिज कर दिया. आटा चक्की चलाने वाली इकाइयों के संगठन रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में गेहूं फसल के एक निजी अनुमान को जारी करते हुए खाद्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि पिछले साल सरकार और उद्योग द्वारा व्यक्त किये गये गेहूं उत्पादन के अनुमानों में अंतर था. हालांकि इस साल फसल अनुमानों में कुछ समानताएं हैं.
गेहूं का रकबा 3-5 फीसदी बढ़ा है
पहली सामान्य बात यह है कि गेहूं के रकबे में 3-5 फीसदी की वृद्धि हुई है, दूसरी समानता बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से लगभग 10-20 लाख टन उत्पादन का नुकसान होने के संदर्भ में है. तीसरी, समान बात यह है कि दोनों अनुमानों में पिछले साल के मुकाबले 50-55 लाख टन अतिरिक्त उत्पादन होने का अनुमान है. उन्होंने कहा, ‘‘उत्पादन पिछले साल के सरकारी अनुमान से 50-55 लाख टन अधिक होगा.’’ इसका मतलब है कि कुल गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) के लिए निर्धारित रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन के स्तर पर पहुंच जाएगा और इस स्तर को भी पार कर सकता है.
10 करोड़ 42.4 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान
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शुरू में एग्रीवॉच ने वर्ष 2022-23 के लिए 10 करोड़ 42.4 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया था, जबकि पिछले वर्ष यह उत्पादन 9.77 करोड़ टन का हुआ था. हालांकि, बाद में इसने बेमौसम बारिश के कारण फसल के नुकसान को ध्यान में रखते हुए अनुमान को घटाकर 10.29 करोड़ टन कर दिया. फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में, कुछ उत्पादक राज्यों के कुछ हिस्सों में लू के कारण गेहूं का उत्पादन 18.4 लाख टन घटकर 10 करोड़ 77.4 लाख टन रह गया था. नतीजतन, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सरकार की खरीद घटकर 1.9 करोड़ टन रह गई.
गेहूं की कीमतें बढ़ी हैं
अतिरिक्त सचिव ने कहा कि सर्वेक्षण महत्वपूर्ण हैं क्योंकि दुनिया भर में गेहूं की कीमतें बढ़ी हैं. उत्पादन भिन्न होता है और निर्यात और OMSS पर नीतिगत निर्णय लेने के लिए अनुमान का होना काफी महत्वपूर्ण होते हैं. उन्होंने कहा कि गेहूं उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होने जा रही है और उपलब्धता पिछले साल की तुलना में बेहतर रहेगी. अतिरिक्त सचिव ने कहा कि हाल की बारिश के कारण गुणवत्ता में कमी आई है, सरकार ने मध्य प्रदेश में खरीद के मानदंडों में ढील देने का सही समय पर निर्णय लिया है. वहां उत्पाद के चमक नुकसान के साथ अनाज एमएसपी पर खरीदा जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा सरकारों के ऐसे ही अनुरोधों पर विचार कर रही है. अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि इस साल सरकारी खरीद बेहतर होगी. हमारे पास पीडीएस और बाजार के हस्तक्षेप को पूरा करने के लिए स्टॉक की पर्याप्त आपूर्ति रहेगी.’’
342 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य
उन्होंने यह भी कहा कि निर्यात प्रतिबंध और खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के माध्यम से थोक उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर अनाज की बिक्री के कारण वर्तमान में गेहूं और आटा जैसे गेहूं उत्पादों की घरेलू कीमतों में गिरावट आई है. इस मौके पर, भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा ने कहा कि अब तक लगभग 7 लाख टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है, जो कि एक साल पहले की अवधि में हुई 2 लाख टन की खरीद से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि इस साल 342 लाख टन खरीद का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा.’’
09:20 PM IST